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यूरिया सब्सिडी योजना रहेगी जारी, भारत यूरिया में आत्मनिर्भर बनने की राह पर : बिंदल

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यूरिया सब्सिडी योजना के जारी रहने से यूरिया का स्वदेशी उत्पादन भी होगा अधिकतम 

मोदी सरकार के इस निर्णय से किसानों को यूरिया की खरीद के लिए अतिरिक्त खर्च करने की आवश्यकता नहीं होगी

वर्तमान में, नीम कोटिंग शुल्क और लागू करों को छोड़कर यूरिया की एमआरपी 242 रुपये प्रति 45 किलोग्राम यूरिया की बोरी, जबकि बैग की वास्तविक कीमत लगभग 2200 रुपये है 

समाचार  दृष्टि ब्यूरो/शिमला

नरेन्द्र मोदी सरकार ने किसानों को करों और नीम कोटिंग शुल्कों को छोड़कर 242 रुपये प्रति 45 किलोग्राम की बोरी की समान कीमत पर यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए यूरिया सब्सिडी योजना को जारी रखने की मंजूरी दे दी है। यह बात प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने जरी एक व्यान  में कही।

उन्होंने खा कि  पैकेज में तीन वर्षों (2022-23 से 2024-25) के लिए यूरिया सब्सिडी को लेकर लगभग 3.70 लाख करोड़ रुपये आवंटित करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है। यह पैकेज हाल ही में अनुमोदित 2023-24 के खरीफ मौसम के लिए 38,000 करोड़ रुपये की पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) के अतिरिक्त है।

डॉ  बिंदल ने कहा मोदी सरकार के इस निर्णय से किसानों को यूरिया की खरीद के लिए अतिरिक्त खर्च करने की आवश्यकता नहीं होगी और इससे उनकी इनपुट लागत को कम करने में मदद मिलेगी। वर्तमान में, नीम कोटिंग शुल्क और लागू करों को छोड़कर यूरिया की एमआरपी 242 रुपये प्रति 45 किलोग्राम यूरिया की बोरी है जबकि बैग की वास्तविक कीमत लगभग 2200 रुपये है।

यह योजना पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा बजटीय सहायता के माध्यम से वित्तपोषित है। यूरिया सब्सिडी योजना के जारी रहने से यूरिया का स्वदेशी उत्पादन भी अधिकतम होगा।
लगातार बदलती भू-राजनीतिक स्थिति और कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि के कारण, पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर उर्वरक की कीमतें कई गुना बढ़ रही हैं लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार ने उर्वरक सब्सिडी बढ़ाकर अपने किसानों को उर्वरक की अधिक कीमतों से बचाया है।

उन्होंने कहा हमारे किसानों की सुरक्षा के प्रयास में, भारत सरकार ने उर्वरक सब्सिडी को 2014-15 में 73,067 करोड़ रुपये से बढ़ा कर 2022-23 में 2,54,799 करोड़ रुपये कर दिया है। मोदी सरकार ने ये भी निर्णय लिया है कि 2025-26 तक 195 एलएमटी पारंपरिक यूरिया के बराबर 44 करोड़ बोतलों की उत्पादन क्षमता वाले आठ नैनो यूरिया संयंत्र चालू हो जाएंगे।

इससे जमीन के पोषक तत्वों की क्षमता बढ़ती है और किसानों की लागत भी कम आती है। नैनो यूरिया के उपयोग से फसल उपज में वृद्धि हुई है। वर्ष 2018 से 6 यूरिया उत्पादन यूनिट, चंबल फर्टिलाइजर लिमिटेड, कोटा राजस्थान, मैटिक्स लिमिटेड पानागढ़, पश्चिम बंगाल, रामागुंडम-तेलंगाना, गोरखपुर-उत्तर प्रदेश, सिंदरी-झारखंड और बरौनी-बिहार की स्थापना और पुनरुद्धार से देश को यूरिया उत्पादन और उपलब्धता के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिल रही है।

यूरिया का स्वदेशी उत्पादन 2014-15 के 225 एलएमटी के स्तर से बढ़कर 2021-22 के दौरान 250 एलएमटी हो गया है। 2022-23 में उत्पादन क्षमता बढ़कर 284 एलएमटी हो गई है। नैनो यूरिया संयंत्र के साथ मिलकर ये यूनिट यूरिया में हमारी वर्तमान आयात पर निर्भरता को कम करेंगे और 2025-26 तक हम आत्मनिर्भर बन जाएंगे।

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