



लेखक संजय राजन ने पच्छाद के धर्मिक स्थलों को लोक कथाओं सहित किया “पच्छाद के धार्मिक स्थल” पुस्तक में प्रकाशित
महिमा पुस्तकालय नाहन में पहुचीं धार्मिक स्थलों की पुस्तक
सराहाँ /समाचार दृष्टि ब्यूरो
देवभूमि हिमाचल प्रदेश के कण कण में यूं तो देवी देवताओं का वास व प्रमाण चम्तकारिक तौर पर मिलते ही है। वहीं जिला सिरमौर की देवभूमि पच्छाद में भी देवी देवताओं का अस्तित्व जीवंत है। जिसे संराहां के लेखक संजय राजन द्वारा “पच्छाद के धार्मिक स्थल” नामक अपनी पुस्तक में यहाँ की लोक कथाओं पर आधारित इतिहास को संकलित कर इस पुस्तक में पिरोया गया है।
जिला सिरमौर की देव भूमि पच्छाद के धार्मिक स्थलों की पुस्तक “पच्छाद के धार्मिक स्थल” का हाल ही में जहां हिमाचल प्रदेश सरकार के समाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कर्नल धनीराम शाडिल ने यूनाइटेड वेटरन्स एसोसिएशन पच्छाद के वार्षिक उत्सव के अवसर पर विमोचन किया था वहीं शुक्रवार को लेखक संजय राजन ने पच्छाद के धार्मिक स्थल की इस पुस्तक को ऐतिहासिक महिमा लाईब्रेरी नाहन में भेंट कर पाठकों के लिए उपलब्ध करवाई है।
लेखक एवं पत्रकार संजय राजन ने पच्छाद के 14 ऐसे धार्मिक एवं ऐतिहासिक मंदिरों का उल्लेख अपनी इस पुस्तक के माध्यम से किया है, जिसका रामायण व महाभारत कालीन युग से भी सम्बधं जुडा है। पच्छाद के गनयार के गणपति बाबा मंदिर, सुप्रसिद्व भुरेश्वर महादेव मंदिर, भरागी माता मंदिर, सराहाँ शिव मंदिर, लाना रावना का ज्वाला माता मंदिर, मानगढ का महाभारत कालीन शिव मंदिर, श्रृंगी ऋषि की गुफा, नारायण की नगरी ठाकूरद्वारा में राधा कृष्ण मंदिर, जोहना स्तिथ हनुमान मंदिर, कलोह का दुधाधारी ओर राधा कृष्ण मंदिर, मिन्डो की सैर का मुण्डेश्वरी माता मंदिर, मंझगांव शमलाटी का सूढ देवता मंदिर, मानरिया मढीधाट माता मनसा देवी व पशुओं की देवी माता त्रिभुवनी मंदिर ऐसे स्थल है जिनका धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व जुडा है। जोकि शोघ कर्ताओ, पाठकों के लिए उपयोगी साबित होगें।
वहीँ सुप्रसिद्ध कवि एवं साहित्यकार दलीप वशिष्ठ ने बताया कि हिमाचल के सिरमौर का उपमंडल पच्छाद देव संस्कृति की दृश्टि से उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की प्रदेश के अन्य धार्मिक स्थल है। जिसे लेखक संजय राजन ने अपनी पुस्तक में संकलन कर बेहतरीन मंच प्रदान किया है।
उधर नाहन स्थित महिमा लाइब्रेरी के इंचार्ज राजेश शर्मा ने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से पच्छाद के उपेक्षित पड़े धार्मिक स्थलों के बारे में लोगों को न केवल जानकारी प्रदान होगी बल्कि उन्हें धार्मिक पर्यटन के रूप में भी विकसित करने में भी सहायता मिलेगी।
लेखक संजय राजन ने बताया कि पच्छाद के धार्मिक स्थलों का स्वास्थय वर्द्वक वातावरण, आध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व कहीं अधिक है लेकिन इन स्थलों का महत्व स्थानीय स्तर तक ही सिमटा है। उन्होने बताया कि पुस्तक में धार्मिक स्थलों से जुडी लोक कथाओं को भी संकलित किया गया है ताकि इसे प्रदेश व देश में पहचान मिल सके।