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पच्छाद के घिन्निघाड़ क्षेत्र के गाँव घिरड़ संद्रोल(ढंगयार)निवासी डॉ होमेश दत्त पराशर नवम्बर 2022 से श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली में ज्योतिष विभाग के सहायक प्राध्यापक पद पर हैं कार्यरत
समाचार दृष्टि ब्यूरो/पच्छाद
“होनहार विरवान के होत चिकने पात” मुहावरे को चरितार्थ किया है पिछड़े क्षेत्र के गाँव से तालुक रखने वाले डॉ होमेश दत्त पराशर ने जिन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय(बीएचयू) से ज्योतिष शास्त्र में डॉक्टरेट(डॉक्टर ऑफ़ फिलासाफी) की उपाधि प्राप्त कर अपने माता पिता व क्षेत्र का नाम रोशन किया है।
डॉ होमेश दत्त पराशर अपने क्षेत्र पच्छाद के घिन्निघाड़ से प्रथम व्यक्ति हैं जिन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त कर विगत एक वर्ष से केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री लाल बहादुर शास्त्री में पीएचडी उपाधि पूरी होने से पहले से वर्तमान समय तक पढ़ा रहे हैं।
डॉ होमेश दत्त पराशर ने 2017 में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के मुक्त स्वाध्याय पीठ के अंतर्गत वेदव्यास परिसर , हिमाचल प्रदेश से फलित ज्योतिषाचार्य की उपाधि प्राप्त करके 2019 में नेट, राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण की तथा जनवरी 2020 में विवाहोपरांत काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के संस्कृतविद्या धर्मविज्ञान संकाय के ज्योतिष विभाग में पीएचडी में प्रवेश प्राप्त किया।
आपको बता दें कि डॉ पराशर ने प्रोफेसर रामचंद्र पांडेय, प्रोफेसर चंद्रमौली उपाध्याय, गिरजा शंकर शास्त्री, प्रोफेसर शत्रुघ्न त्रिपाठी आदि विद्वानों के सानिध्य में ज्योतिष शास्त्र का अध्ययन किया तथा प्रोफेसर विनय कुमार पांडेय के निर्देशन में ज्योतिष शास्त्र में शोधोपाधि बीते 17 दिसंबर 2023 को प्राप्त की। डॉ होमेश विगत वर्ष नवम्बर 2022 से श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली में ज्योतिष विभाग में बतौर सहायक प्राध्यापक पद पर कार्यरत हैं।
डॉ होमेश पराशर की प्रारंभिक शिक्षा उनके गाँव के शिक्षा केंद्रीय प्राथमिक पाठशाला मलगन में हुई। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कलोह से उच्च शिक्षा प्राप्त कर वर्ष 2010 से 2018 तक निजी क्षेत्र में विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए जिनमें पर्यटन व्यवसाय में फ्रंट ऑफिस मैनेजर तथा निजी उद्योगों में मानव संसाधन विभाग में कार्य का अनुभव प्राप्त किया। डॉ होमेश ने साथ के साथ अपने अध्ययन को जारी रखते हुए दिसंबर 2018 में राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा नेट उत्तीर्ण की। विवाह उपरांत 2020 में पुनः नियमित पढ़ाई प्रारंभ की जिसमें उनकी धर्मपत्नी अंजू पराशर पुत्र अनिरूद्ध पराशर तथा पिता चुहीराम पराशर एवं समस्त परिजनों का उन्हें विशेष सहयोग प्राप्त हुआ।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के नाम से भी जाना जाता है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी में स्थित एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। इसे प्रायः बीएचयू (बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी) कहा जाता है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना महामना मदन मोहन मालवीय जी द्वारा सन् 1916 में बसंत पंचमी के पुनीत दिवस पर की गई थी।
इस विश्वविद्यालय के मूल में एनी बेसेन्ट द्वारा स्थापित और संचालित सेन्ट्रल हिन्दू कॉलेज की प्रमुख भूमिका थी। विश्वविद्यालय को “राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान” का दर्जा प्राप्त है। संन 1939 में हैदराबाद के सातवें निज़ाम “मीर उस्मान अली खान” ने इस विश्वविद्यालय को एक लाख रूपए का योगदान भी दिया था। दरभंगा के महाराजा रामेश्वर सिंह ने विश्वविद्यालय की स्थापना में आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था दान देकर की।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय की वर्तमान एनआईआरएफ रैंकिंग समग्र भारत में द्वितीय है अर्थात यह भारत की सर्वश्रेष्ठ यूनिवर्सिटी की सूची में दूसरे स्थान पर है। यह एशिया का सबसे बड़ा रिहायशी विश्वविद्यालय अर्थात रेजिडेंशियल यूनिवर्सिटी है यहां पर IIT IMS आदि समग्र विषयों की पढ़ाई की जाती है और यहां 30,000 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं।
डॉ होमेश दत्त पराशर की इस उपलब्धि से पुरे क्षेत्र को इन पर गर्व हो रहा है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगें।