
कहा अभिभावकों की सहभागिता से आंगनबाड़ी केंद्रों में 3 वर्ष से 6 वर्ष के बच्चों को ड्रेस कोड (वर्दी) लागू करने का किया प्रयास
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आंगनवाड़ी केंद्र गढ़शाया में 7 बच्चों को अभिभावकों की उपस्थिति में वितरित की वर्दी
समाचार दृष्टि ब्यूरो / सराहाँ (सिरमौर)
अब आंगनबाड़ी के नन्हे मुन्ने बच्चे भी अंग्रेजी स्कुल की तरह ड्रेस कोड (वर्दी)में नजर आयेंगे। इससे न केवल आंगनबाड़ी का स्तर बढेगा बल्कि जो ग्रामीण अविभावक अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कुल में अधिक फीस होने कारण नही पढ़ा सकते वह भी अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कुल की ही तरह वर्दी में अपने बच्चों को पढ़ा सकेंगे।
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यह सब संभव हुआ बाल विकास परियोजना अधिकारी पच्छाद दीपक चौहान की एक अनूठी पहल की शुरुवात से। जिसमें उपमंडल पच्छाद के अंतर्गत आने वाले आगनवाड़ी केंद्रों में 3 वर्ष से 6 वर्ष तक के बच्चों को अभिभावकों की सहभागिता से ड्रेस कोड (वर्दी) लागू करने का प्रयास किया गया है।
दीपक चौहान ने बताया कि उनका विभाग वर्ष 1975 से महिलाओं एवं बच्चों को अपने 6 सेवाओं के माध्यम से बच्चों को खेल खेल के द्वारा शारीरिक एवं बौद्धिक विकास हेतु प्रयासरत है जिसके सकारात्मक परिणाम भी दिखने शुरू हो गए है। बच्चों को पोषण के अतिरिक्त अनौपचारिक शाला पूर्व शिक्षा के द्वारा बच्चों के सर्वांगीण विकास में आंगनवाड़ी केंद्रों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है । इस उद्देश्य से विभाग द्वारा पोषण भी,पढ़ाई भी योजना का प्रारंभ किया है जिसके द्वारा महिलाओं एवं बच्चों के पोषण एवं पढ़ाई पर विशेष बल दिया गया है।
इसीलिए अब आंगनवाड़ी केंद्रों में लगने हेतु सहायिका की भी न्यूनतम शिक्षा 10 +2 की गई है ताकि कार्यकर्ता की अन्य विभागीय गतिविधियों में संलिप्तता होने के कारण सहायिका शाला पूर्व शिक्षा प्रदान करने हेतु उपलब्ध रहे। किंतु विगत कुछ वर्षों से कुकुरमुत्तों की तरह निजी स्कूलों एवं किंडर गार्टन,प्ले स्कूलों के खुलने से आंगनवाड़ी केंद्रों में शाला पूर्व शिक्षा के बच्चों में लगातार गिरावट आई है।
उन्होंने कहा कि से निजी शिक्षण संस्थानों को प्रतिस्पर्धा देने के उद्देश्य से बाल विकास परियोजना पच्छाद के नैनटिककर -2 अधीन आंगनवाड़ी केंद्र गढ़शाया में पायलट आधार पर केंद्र में आने वाले 7 बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्र में प्रयोग की जाने वाली वर्दी अभिभावकों की उपस्थिति में आज गुरुपूर्णिमा के अवसर पर वितरित की गई। इस वर्दी को पहनकर बच्चे एवं अभिभावक प्रसन्न एवं उत्साहित हुए। इस तरह का प्रयोग किए जाने का उद्देश्य केवल बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्रों में संख्या बढ़ाना है जिससे बच्चे उत्साह एवं उमंग से आंगनवाड़ी केंद्रों मं आना सुनिश्चित करेंगे।
दीपक चौहान ने जानकारी देते हुए कहा कि परियोजना के अधीन 7 पर्यवेक्षकों मे कम से कम 2 आंगनवाड़ी केंद्रों में प्रयोगात्मक रूप में प्रारंभ करने हेतु अभिभावकों की सहमति एवं सहभागिता से अमल में लाने को निर्देशित किया गया है। उनके द्वारा अभिभावकों से भी अपील की गई कि वे विभाग को इस पहल में सहयोग करें ताकि आंगनवाड़ी केंद्र में आने वाले बच्चे उत्साह से आएं एवं पोषण के साथ साथ शाला पूर्व शिक्षा प्राप्त कर सकें।
इस अवसर पर पर्यवेक्षक कुसुम लता तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कांता देवी सहित स्थानीय ग्रामीण एवं अभिभावक उपस्थित रहे।
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