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प्रदेश सरकार पुलिस विभाग के आधुनिकीकरण के लिए प्रतिबद्धः मुख्यमंत्री

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पंजीकृत पुलिस चौकियों को एफआईआर दर्ज करने के लिए अधिकृत किया जाएगा, बोर्डों और निगमों में तैनात किए जाएंगे गृह रक्षकः मुख्यमंत्री

समाचार दृष्टि ब्यूरो/शिमला

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज यहां पुलिस विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार विभाग के आधुनिकीकरण के लिए हर संभव सहयोग प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि बेहतर जनसेवा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस थानों को जनसंख्या, भौगोलिक कारक, ग्रामीण और शहरी आधार पर वर्गीकृत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इनकी कार्य क्षमता को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक स्टाफ भी उपलब्ध करवाया जाएगा। इन पंजीकृत पुलिस चौकियों को एफआईआर दर्ज करने का अधिकार प्रदान किया जाएगा, जिसके लिए इन चौकियों को अपराध और अपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क प्रणाली (सीसीटीएनएस) से भी जोड़ा जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्मचारियों की कमी को दूर करने के लिए प्रदेश सरकार शीघ्र ही खाली पदों को भरेगी। उन्होंने कहा कि 1226 पुलिस जवान और 30 सब-इन्सपेक्टरों की भर्ती प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा कि जनता को बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए पुलिस सुधार अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं और प्रदेश सरकार अपराधियों के खिलाफ कड़े कानून सुनिश्चित कर रही है। उन्होंने कहा कि ड्रग माफिया के खिलाफ प्रदेश में एंटी ड्रग एक्ट बनाया जाएगा।

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि पुलिस विभाग में डेटा संग्रहित और व्यवस्थित करने के लिए एक डेटा वेयरहाउस और क्लियरिंग एजेंसी भी स्थापित की जाएगी। इसके माध्यम से विभिन्न एजेंसियों से डेटा विश्लेषण और निर्णय लेने में मदद मिलेगी। उन्होंने कार्यप्रणाली में सुधार और परिचालन कार्य क्षमता को बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक अपनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) और अग्निशमन विभाग को विभाग को सुदृढ़ कर रही है, ताकि इसकी कार्य क्षमता को बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि गृह रक्षक के 700 पद भरे जा रहे हैं। उन्होंने विभाग में अतिरिक्त कार्य क्षमता का ब्योरा तैयार करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार 86 नियमित प्रतिक्रिया केन्द्रों के डिजिटलीकरण के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए विभिन्न बोर्डों और निगमों के लिए गृह रक्षक तैनात किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि बिलासपुर जिला के मारकण्ड में एक गृह रक्षक बटालियन प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किया जाएगा, जिससे प्रशिक्षण सुविधाओं में सुधार होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल को सुदृढ़ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि किसी भी आपदा या आपातकाल के दौरान राहत और पुनर्वास कार्यों के लिए आवश्यक वाहन किराये पर लेने के लिए सक्षम प्राधिकारी को अधिकार दिए जाएंगे। आपदा प्रतिक्रिया बल में स्थाई स्टाफ की भर्ती होने तक अस्थाई तौर पर गृह रक्षकों की तैनाती की जाएगी। उन्होंने कहा कि अग्निशमन सेवाओं को आधुनिक बनाया जाएगा और इसके लिए 19.40 करोड़ रुपये की पहली किश्त शीघ्र जारी की जाएंगी।

मुख्यमंत्री ने राज्य में साइबर अपराध के मामलों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्ष 2024 साइबर अपराध की 11,892 शिकायतें दर्ज की गई हैं, जिनमें कुल 114.94 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी शामिल है। उन्होंने कहा कि साइबर सेल में इनमें से 11.59 करोड़ रुपये सफलतापूर्वक ब्लॉक किये हैं, जो कुल धोखाधड़ी का 10.08 प्रतिशत है। उन्होंने साइबर अपराधों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार कानून प्रवर्तन और आपातकाल सेवाओं को और अधिक मजबूत बनाने के अलावा साइबर अपराध और आपदा प्रबंधन संबंधी चुनौतियों से लड़ने के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है।

मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह ओंकार चन्द शर्मा, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, पुलिस महानिदेशक डॉ. अतुल वर्मा, महानिदेशक सीआईडी एसआर ओझा, एडीजीपी सतवन्त अटवाल और पुलिस विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।

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