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वनचर संस्था के सहयोग से बान के विलुप्त होते जंगलों को संरक्षण देने के लिये आगे आया वन विभाग

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बाग पशोग पंचायत के कवाग धार की पहाड़ियों पर वन विभाग की 36 बीघे जमीन पर बान के बीज की बिजाई करके उगाये जा रहे हैं बान के पेड़


समाचार दृष्टि ब्यूरो/सराहां


उपमंडल पच्छाद में विलुप्त होंते जा रहे बान के जंगलों को पुनः स्थापित करने के लिये वन विभाग हिमाचल प्रदेश व वनाचार वेलफेयर ऑफ फ़्लोरा और फयूना फाउंडेशन ने एक सांझा प्रयास किया है। पच्छाद उपमण्डल की बाग पशोग पंचायत के कवाग धार की पहाड़ियों पर वन विभाग की 36 बीघे जमीन पर बान के बीज की बिजाई करके बान के पेड़ उगाए जा रहे हैं।

बता दें कि इस अभियान के तहत 3 हेक्टेयर जमीन पर ढाई क्विंटल बीज की बिजाई जनवरी माह में की गई है। और उम्मीद है कि जुलाई माह तक इसमे ये बीज पौधों का रूप ले लेंगे। यदि यह योजना सिरे चढ़ गई तो इससे न केवल इलाके में विलुप्त हो रहे बान के वनों को संरक्षण मिलेगा बल्कि इससे वातावरण में नमी, पशुओं को चारा व लकड़ी भी उपलब्ध होगी।

गौर हो कि बान का पेड़ एक ऐसा पेड़ है जो कई तरह से उपयोगी है।इसका उपयोग जहाँ पालतू पशुओं के चारे के लिये लिये इस्तेमाल किया जाता है वहीं जंगली जानवर भी इसके बीजों को खुश होकर खाते है। माना जाता है कि इसका चारा पशुओं के लिये स्वास्थ्यवर्धक होता ही है, साथ ही इसका पेड़ आसपास के इलाके में नमी भी बरकरार रखता हैं ।

इस बारे में जानकारी देते हुए सराहां वन क्षेत्र के परिक्षेत्र अधिकारी सतपाल शर्मा ने बताया कि उच्च अधिकारियों के आदेश पर वेलफेयर ऑफ फ़्लोरा और फयूना फाउंडेशन के आग्रह पर वन विभाग की 36 बीघा जमीन पर बान के बीज बीजे गये ताकि बान का जंगल स्थापित किया जा सके। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा संस्था को इस कार्य को पूरा करने के लिये उचित मार्गदर्शन व सहायता प्रदान की गई।उम्मीद है कि वर्षा ऋतु तक यहाँ पर नर्सरी तैयार हो जाएगी।

संस्था के संस्थापक निर्मोल कुमार अग्रवाल व नवनीत तिवारी एक पर्यावरण प्रेमी हैं।देश के कई राज्यों में उनकी संस्था वनों के क्षेत्र में कार्य कर रही है। संस्था का मुख्य कार्य पर्यावरण संरक्षण,वनों की रक्षा व इन सबके लिये लोगो को जागरूक करना है।इस कार्य मे वन विभाग की पानवा बीट की वन रक्षक नीलम शर्मा का भी भरपूर योगदान रहा है।

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